देश में अक्षय ऊर्जा से विद्युत उत्पादन हेतु विभिन्न श्रोतों के अन्तर्गत पवन ऊर्जा
का स्थान अग्रणी है। वर्तमान में देश में उत्पादित कुल अक्षय ऊर्जा संयंत्रों की अधिष्ठापित
क्षमता लगभग 35700 मेगावाट के सापेक्ष पवन ऊर्जा द्वारा उत्पादित विद्युत का अंश 68
प्रतिशत है।
राष्ट्रीय पवन ऊर्जा संस्थान भारत सरकार द्वारा प्रदेश में 50 मी. ऊॅचाई पर 138 मेगावाट
एवं 80मी. ऊॅचाई पर 1260 मेगावाट पवन ऊर्जा उत्पादन की सम्भावनायें व्यक्त की गई है।
उल्लेखनीय है कि भूतल से ऊॅचाई बढ़ने के साथ-साथ वायुवेग बढ़ता जाता है। इस प्रकार ऊॅचाई
बढ़ाने के साथ विद्युत उत्पादन की सम्भवनायें बढ़ती जाती हैं। उक्त के दृष्टिगत पवन ऊर्जा
से विद्युत उत्पादन की सम्भावनाओं को ज्ञात करने के लिये अभिकरण द्वारा निरन्तर प्रयास
किया जा रहा है।
परियोजनाओं का सर्वेक्षण एवं विण्ड रिसोर्स असेसमेंट कार्यक्रमः
पवन ऊर्जा से विद्युत उत्पादन की परियेाजनाओं की स्थापना हेतु सर्वप्रथम परियोजना स्थलों
पर वायुवेग एवं विण्ड पावर डेन्सिटी (डब्लू.पी.डी.) का आंकलन 01 वर्ष से 02 वर्ष की
अवधि तक किया जाता है। इस प्रक्रिया को विण्ड रिसोर्स असेसमेंट कहते है। किसी स्थल
पर विण्ड मास्ट की स्थापना कर एक वर्ष के वायुवेग एवं डब्लूपीडी के आंकड़ें एक निश्चित
ऊॅचाई (50मी., 80मी., 100मी., 120मी.) पर प्राप्त किये जाते हैं। उक्तानुसार किसी स्थल
पर न्यूनतम् वायुवेग 4मी. प्रति सेकेण्ड एवं डब्लूपीडी 200 वाट प्रति वर्गमी. प्राप्त
होने की दशा में पवन ऊर्जा परियोजना फिजीबिल मानी जाती है एवं ऐसी परियोजनायें वाणिज्यक
विद्युत उत्पादन हेतु उपयुक्त होती हैं।
राष्ट्रीय पवन ऊर्जा संस्थान द्वारा पवन ऊर्जा परियोजनाओं को चिन्हित करने हेतु सम्भावित
जनपदों यथाः ललितपुर, मिर्जापुर, रायबरेली, फरूखाबाद, आगरा, इटावा, बदायूं, झांसी एवं
सोनभद्र जनपदों में 50मी. ऊॅचाई पर विण्ड रिसोर्स असेसमेंट (डब्लू.आर.ए.) का कार्य
किया गया है। इसी प्रकार जनपदों क्रमशः गोण्डा, बलरामपुर, सिद्धार्थनगर, शाहजहॉपुर
एवं लखीमपुर जनपदों में 80मी. ऊॅचाई पर विण्ड रिसोर्स असेसमेंट का कार्य पूर्ण किया
जा चुका है। सम्बन्धित जनपदों में कराये गये वायुवेग आंकड़े स्थानों की स्थिति इत्यादि
का विवरण निम्नवत् हैः-