लघु जल विद्युत (एसएचपी) कार्यक्रम
आबादी और औद्योगिक विकास में वृद्वि के साथ बिजली की मांग तेज गति से बढ़ रही है। राज्य
की कुल स्थापित विद्युत क्षमता लगभग 6160 मेगावाट है, जिसमें से पनबिजली आधारित उत्पादन
का हिस्सा 522.50 मेगावाट है। प्रदेश में अतिरिक्त ऊर्जा उत्पादन कर बिजली संकट से
उबरने के लिये लघु जल विद्युत परियोजनायें महत्वूपर्ण भूमिका निभा सकती है। एमएनआरई,
भारत सरकार द्वारा नेडा 25 मेगावाट की क्षमता तक की परियोजनाओं हेतु राज्य नोडल एजेन्सी
है। प्रदेश में लघु जल विद्युत नीति के अनुरूप परियोजनाओं की स्थापना हेतु यूपीनेडा
एवं उ0प्र0 जल विद्युत निगम द्वारा निजी विकासकर्ताओं के माध्यम से परियोजनाओं की स्थापना
एवं कार्यों का क्रियान्वयन किया जा रहा है।
लघु जल विद्युत परियोजनाओं से उत्पन्न बिजली का पारेषण यूपी पावर कार्पोरेशन लिमिटेड
के ग्रिड नेटवर्क के माध्यम से किया जाना प्राविधानित है, इसके अलावा दूर-दराज के गांवों
में सीधे उपभोक्ताओं (स्टेैण्ड एलोन) को बिजली आपूर्ति कर सकते हैं, जहॉ ग्रिड नेटवर्क
उपलब्ध नही है।
यूपीनेडा को परियोजनाओं के चिन्हांकन, सर्वेक्षण, डिज़ाइन, क्रियान्वयन, संचालन और रख-रखाव
के साथ-साथ लघु जल विद्युत परियोजनाओं के प्रबंधन में व्यापक अनुभव है। उत्तरांचल राज्य
के गठन के पूर्व नेडा द्वारा 2095 किलोवाट क्षमता की 30 लघु जल विद्युत परियेाजनायें
पूर्ण की गयी हैं, जो उत्तरांचल के दूर-दराज इलाकों के 164 गांवों में बिजली आपूर्ति
कर रही हैं।
उत्तरांचल को नये राज्य के रूप में बनाने के बाद प्रदेश में जल विद्युत क्षमता अब सिंचाई
नहरों, नदियों, बांधों में उपलब्घ फाल्स पर उपलब्ध है। उत्तर प्रदेश राज्य में कई बारहमासी
नदियॉ उपलब्ध है। राज्य मे सिंचाई नहरों का एक व्यापक नेटवर्क विकसित किया गया है।
सिंचाई एवं अन्य आवश्कताओं हेतु पानी को गंगा, यमुना, शारदा, सरजू, गंडक, घाघरा, बेतवा
आदि नदियों द्वारा नहरों के माध्यम से सिंचाई इत्यादि कार्यो हेतु स्थानांतरित किया
जाता है। नहरों पर उपलब्ध प्राकृतिक एवं कृत्रिम फाल्स और सिंचाई बांधों में बिजली
उत्पादन के लिये काफी सम्भावनायंे हैं। नहरों में प्रवाह मुख्य रूप से सिंचाई के रिलीज़
के पैटर्न द्वारा निर्धारित होता है।
नहरों के फाल्स एवं बांधों के निकासी द्वार पर सम्भावित क्षमता का उपयोग करने के लिये
यूपीनेडा द्वारा चिन्हांकन, सर्वेक्षण और विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार करने का काम
भी किया जा रहा है। नेडा ने पहले चरण में 3 मेगावाट क्षमता तक दस विस्तृत परियोजना
रिपोर्ट और दस व्यवहार्यता रिपोर्ट तैयार की गयी हैं, जिनके विवरण नीचे दिये गये है।
गैर-पारम्पिरिक ऊर्जा स्रोत मंत्रालय (एमएनआरई), भारत सरकार द्वारा विस्तृत सर्वेक्षण
और जांच (डीएसआई) पर सीमित सब्सीडी के रूप में विभिन्न प्रोत्साहन प्रदान करने का प्राविधान
है, विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार करने और लघु जल विद्युत परियोजनाओं के
क्रियान्वयन के लिये राज्य सरकार/भारत सरकार द्वारा प्रोत्साहन प्रदान किया जा रहा
है। विद्युत निकासी सुविधाओं में लघु जल विद्युत परियोजनाओं के विकास में निजी भागीदारी
के लिये दिशा-निर्देश भी जारी किये है।
प्रदेश में उत्तर प्रदेश सरकार की लघु जल विद्युत नीति 2009 के अनुरूप यूपीनेडा एवं
उ0प्र0 जल विद्युत निगम द्वारा नोडल एजेन्सी के रूप में कार्य करते हुये निजी विकासकर्ताओं
के माध्यम से परियोजनायें स्थापित किये जाने हेतु कार्यवाही की जा रही है।