अतिरिक्त ऊर्जा स्रोत विभाग, उत्तर प्रदेश

उत्तर प्रदेश नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा विकास अभिकरण

आफ ग्रिड सोलर के अंतर्गत प्रमुख कार्यक्रम

लोहिया ग्रामीण आवासों में सोलर पावर पैक की स्थापना का कार्यक्रम

भारत सरकार द्वारा गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन कर रहे परिवारों के वर्ष 2002 के सर्वेक्षण से वंचित रह गये गरीब परिवारों की आवास जैसी मूल आवश्यकताओं की पूर्ति के लिये उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा लोहिया आवास योजना संचालित की गयी है। यूपीनेडा द्वारा उन आवासों में 120 वाट क्षमता के सोलर पावर पैक संयत्रों की स्थापना का कार्य किया जा रहा है। जिससे प्रत्येक आवास में 3 वॉट की 2 ल्यूमेनियर, 5 वॉट का एक ल्यूमेनियर, 25 वॉट का डीसी सीलिंग फैन, मोबाइल चार्ज करने के लिये एक मोबाइल चार्जिंग प्लग प्वाइंट प्रदान किया जा रहा है जो प्रतिदिन 8 घंटे तक उक्त उपकरणों को संचालित करने में सक्षम होगा तथा संयत्र में 2 दिन का बैकअप पृथक से होगा। संयत्र की 5 वर्ष तक कम्प्रेहैन्सिव वारंटी का कार्य आपूर्तिकर्ता फर्म द्वारा किया जाता है। वर्तमान वित्तीय वर्ष में संयत्र की कीमत 24100.00 (अनुसांगिक व्यय 1050 अतिरिक्त) है।

उक्त योजना के अंतर्गत प्रदेश के 75 जनपदों में ग्राम्य विकास विभाग द्वारा वित्तीय वर्ष 2012-13, 2013-14, 2014-15 एवं 2015-16 में चयनित लोहिया आवासों में कुल 137342 सोलर पावर पैक संयत्रों की स्थापना का कार्य कराया जा चुका है।


सोलर स्ट्रीट लाईट


सोलर हाई मास्ट


आर ओ वाटर -

प्रदेश में लगभ 1,41,000 प्राथमिक विद्यालय हैं जिसमें 95 प्रतिशत से अधिक विद्यालय ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित हैं। प्राथमिक विद्यालयों में 6-14 वर्ष तक के बच्चे अध्ययनशील हैं। ग्रामीण क्षेत्र के विद्यालयों में विद्युत व्यवस्था नही होनें के कारण वहां पर स्वच्छ जल की आपूर्ति नही हो पाती है। प्रदूषित पेयजल की समस्या होने के कारण बाल अवस्था में ही कुछ बच्चे गम्भीर बिमारियों से ग्रसित हो जाते हैं। स्वच्छ पेयजल के साथ-साथ स्वच्छ शौचालय तथा खान-पान की व्यवस्था भी वाटर पम्प के अभाव में नही हो पाती है फलस्वरुप गन्दगी तथा पानी की अशुद्वता के कारण बच्चों के स्वास्थ्य एवं शिक्षा पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। स्वच्छ पेयजल की व्यवस्था कराया जाना तथा प्राथमिक विद्यालयों में मूलभूत सुविधाओं उपलब्ध कराया जाना शासन की प्राथमिकताओं में एक है। स्वच्छ पेयजल हेतु आर ओ वाटर स्थापित कराया जाता है जिसके लिये विद्युत ऊर्जा की आवश्यकता होती है। प्रशासन की इस प्राथमिकता को सम्पूरित किये जाने हेतु प्रदेश के प्राथमिक विद्यालयों में सौर ऊर्जा से संचालित संयंत्रों के माध्यम से विद्यालयों में बच्चों के पीने हेतु स्वच्छ आर.ओ.वाटर जल, खाना बनाने, शौचालय एवं बागवानी आदि हेतु पम्प के माध्यम से जलापूर्ति तथा बच्चों के अध्ययन कक्षों में पंखे की सुविधा हेतु अभिनव प्रयोग सर्वप्रथम दो विद्यालयों में किया गया। जिसमें निम्नानुसार संयंत्रों की स्थापना करायी गयीः-


  • सोलर पैनल - 1.1 किलोवाट
  • पंखा - 05 नम्बर ( 01 प्रधानाध्यापक तथा 04 अन्य कक्षों के लिये )
  • आर.ओ. वाटर - 01 नम्बर ( 100 लीटर स्टोरेज टैंक के साथ 50 लीटर प्रति घंटा )
  • वाटर पम्प - 01 नम्बर (डी सी सबमर्सिबल 01 एच.पी.)
  • ओवर हैड टैंक - 1000 लीटर्स

प्राथमिक विद्यालय में उपलब्ध इण्डिया मार्का - 2 हैण्ड पम्प का प्रयोग कर इसमें डी.सी. सबमर्सिबल पम्प जो कि विशिष्ट रुप से सोलर हेतु डिजायन है स्थापित कराया गया। इस पम्प का उपयोग विद्यालय की छत पर स्थापित 1000 लीटर के वाटर टैंक को भरने के लिये किया गया। वाटर टैंक से एक सप्लाई आर.ओ.वाटर संयंत्र को तथा दूसरी किचन में खाना बनाने हेतु दिया गया। विद्यालय के क्लास रुम में एक-एक सीलिंग डी.सी. पंखा तथा एक प्रधानाध्यापक कक्ष में स्थापित कराया गया। यह संयंत्र बिना बैटरी के स्थापित कराया गया क्योकि विद्यालय में इन उपकरणों का प्रयोग दिन के समय ही होता है। संयंत्र की स्थापना से विद्यालयों में मूलभूत सुविधा की बढ़ोत्तरी के फलस्वरुप सभी के द्वारा उसकी प्रशासन की जाने लगी। संयंत्र की परफारमेंस अत्यन्त ही अच्छी रही तथा किसी प्रकार की कमियां परिलक्षित नहीं हुयी। संयंत्र की उपयोगिता तथा उसकी परफारमेंस से संतुष्टि होकर जिलाधिकारी सोनभद्र द्वारा अपने जनपद में 146 संयंत्रों की स्थापना हेतु अभिकरण को कार्यादेश दिया गया। प्रशासन द्वारा भी इसे अपने वार्’िाक योजना में “शामिल कर लिया गया। संयंत्रों की उपयोगिता और बढ़ाने हेतु विद्यालयों से तथा जनप्रतिनिधियों से प्राप्त सुझावों को दृष्टिगत रखते हुये पंखों की संख्या तीन से बढ़ाकर 05 कर दी गयी तथा शौचालयों में जल की व्यवस्था हेतु एक अतिरिक्त 1000 लीटर के टैंक की व्यवस्था की गयी। संयंत्रों की स्थापना के पश्चात उसका निरीक्षण जनपदीय जिलाधिकारियों के माध्यम से कराया गया जिसमें सभी के द्वारा संयंत्रों की उपयोगिता तथा परफारमेंस को सराहा गया।

प्राथमिक शिक्षा के क्षेत्र में मुख्य रुप से ग्रामीण क्षेत्रों के बच्चों को शिक्षा हेतु इस प्रकार के प्रथम सफल अभिनव प्रयोग, विशिष्ट सोलर सिस्टम डिजाईन तथा संयंत्रों की उत्कृष्ट परफारमेंस के आधार पर इस योजना को एम.एन.आर.ई, भारत सरकार द्वारा गठित एसोसिएशन ऑफ रिन्यूएबल एनर्जी एजेन्सी आफ स्टेट्स एरिया दृष्टिगत द्वारा बेस्ट इनोवेटिव कार्य हेतु राष्ट्रीय स्तर परपुरस्कृत किया गया है।

माह अगस्त 2016 तक प्रदेश के जनपद लखनऊ, गाजियाबाद, गोरखपुर, इटावा, कन्नौज, फतेहपुर, श्रावस्ती, मिर्जापुर, ललितपुर, औरैया, बांदा, सोनभद्र, हमीरपुर, महोबा, चित्रकूट, झांसी एवं जालौन में अब तक कुल 504 संयंत्रों की स्थापना करायी जा चुकी है। इस प्रकार यह अभिनव प्रयोग प्राथमिक छात्रों के बेहतर स्वास्थ्य एवं शिक्षा हेतु सफल रहा है।


वर्तमान में स्थापित कराये जा रहे संयंत्र का विवरण निम्नवत है

  • सोलर पैनल - 1.1 किलोवाट
  • पंखा - 05 नम्बर ( 01 प्रधानाध्यापक तथा 04 अन्य कक्षों के लिये )
  • आर.ओ. वाटर - 01 नम्बर ( 100 लीटर स्टोरेज टैंक के साथ )
  • वाटर पम्प - 01 नम्बर (डी सी सबमर्सिबल)
  • ओवर हैड टैंक - 1000 लीटर्स ( 02 नं. )

( उक्त संयंत्र से प्रतिदिन लगभग 250 लीटर आर.ओ.वाटर (स्वच्छ जल) पीने हेतु प्राप्त होगा )

सोलर.आर.ओ.वाटर संयंत्रों की अनुमानित लागत प्रति संयंत्र रुपये 2,85,000/- है।


सोलर पंप

यह संयत्र सौर ऊर्जा से संचालित है। इसमें किसी प्रकार के ईधन अथवा विद्युत कनेक्षन की आवश्यकता नही पडती है जिसके फलस्वरूप इसमें किसी प्रकार का प्रदूड्ढण नही होता है। इस संयत्र में डीजल द्वारा चालित पम्पों की तुलना में संचालन एवं रखरखाव की आवश्यकता कम पडती है। सूर्य का प्रकाश जब इस संयत्र के सोलर फोटोवोल्टाईक माडयूल पर पडता है तब सोलर माडयूल में लगे सिलिकान सेल के माध्यम से सौर ऊर्जा डी0सी0 विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित हो जाती है जो मोटर पम्प को संचालित करता है जिसके द्वारा जमीन से सिचाई के लिए पानी निकाला जाता है। अधिक जानकारी...


मिनी ग्रिड योजना

विद्युत ऊर्जा और उसकी सुगम उपलब्धता, विकास एवं चहुंमुखी समृद्वि के लिए प्रारम्भिक आवश्यकता है। विद्युत के पर्याप्त और विश्वसनीय स्रोत की उपलब्धता के बिना कोई भी मुख्य क्रिया-कलाप संभव नही है। प्रदेश में बड़ी संख्या में ग्रामीण क्षे़त्र के लगभग 02 करोड़ घर विद्युतीकरण से वंचित है तथा अधिकांश विद्युतीकृत ग्रामीण क्षेत्रों में ग्रिड अत्यंत सीमित मात्रा में उपलब्ध हो पा रही है जिसे मिनी ग्रिड के माध्यम से स्थानीय एवं विकेन्द्रीकृत रूप से स्थानीय रूप से उपलब्ध अक्षय ऊर्जा स्रोत से विद्युत ऊर्जा उत्पादित कर उस क्षेत्र को विद्युतीकृत कर ऊर्जा जैसी महती आवश्यकता की पूर्ति की जा सकती है।

नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा विकास अभिकरण (यूपीनेडा) अतिरिक्त ऊर्जा सो्रत विभाग, उत्तर प्रदेश, नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय भारत सरकार तथा निजी संस्थाओं यथा- मेरा गाॅंव पावर, नेचर टैक, ओमिनी ग्रिड माइक्रो पावर, ग्राम ऊर्जा एवं सन एडीसन आदि फर्मो द्वारा विभिन्न संस्थाओं से वित्तीय सहयोग से प्रदेश के कुछ जनपदों; हरदोई, फिरोजाबाद, गोण्डा, उन्नाव, सीतापुर आदि में मिनी ग्रिड परियोजनाएं स्थापित कर ग्रिड से वंचित क्षेत्रों में विकेन्द्रीकृत रूप से ऊर्जा उत्पादित कर विद्युत लाईन से घरेलू उपयोग यथा सोलर लालटेन, पावरपैक, लाईट, पंखा, मोबाइल चार्जिंग आदि एवं वाणिज्यिक उपयोग यथा टेलीफोन टावर, पैट्रोल पम्प आदि में किया जा रहा है। गत वित्तीय वर्ष में भारत सरकार द्वारा नवम्बर, 2014 मैसर्स ओमिनी ग्रिड माइक्रो पावर को विभिन्न जनपदों हेतु 36 कि.वा. क्षमता की 70 परियाजनाएं स्वीकृत की हैं जिनकी स्थापना का कार्य संबंधित फर्म द्वारा प्रारंभ कर दिया गया है।

यूपीनेडा द्वारा जनपद कन्नौज के ग्राम-फकीरपुर एवं चन्दुआहार में 250 किलोवाट क्षमता की सोलर मिनी ग्रिड परियोजना की स्थापना राज्य बजट से की जा रही है। इस परियोजना से प्रतिवर्ष लगभग 3.65 लाख यूनिट विद्युत उत्पादन होगा तथा परम्परागत ग्रिड के सापेक्ष 0.75 मिलियन पाउण्ड कार्बन डाईआॅक्साइड उत्सर्जन नही होगा। प्राप्त ऊर्जा से दोनों ग्रामों के 417 घरों को प्रतिदिन कम से कम 8 घंटे उनकी आवश्कता के अनुसार विद्युत आपूर्ति सुनिश्चित की जायेगी। परियोजना से प्रत्येक घर को 5 वाट की 2 तथा 7 वाट की 2 एलईडी लाईट एवं 50 वाट का साॅकेट जिसके द्वारा अन्य विद्युत उपकरण जैसेः- मोबाइल चार्जर, टेलीवीजन सेट, पंखा, म्यूजिक सिस्टम आदि चलाया जा सकेगा जिससे ग्रामवासियों, छात्र-छात्राओं एवं महिलाओं को सूरज ढलते ही अॅंधेरे के कारण जीवन की आवश्यक गतिविधियों के संचालन में अत्यंत सुविधा होगी तथा देश-विदेश में चल रहे घटनाक्रमों से साक्षात्कार होगा। कार्य के घंटो में वृद्धि से सृजनात्मक तथा आर्थिक उत्थान के कार्यो का संचालन संभव हो सकेगा जिससे खुशहाली आयेगी। योजना से उक्त के अतिरिक्त दोनों ग्रामों के लगभग 20 नलकूप/आटा चक्की आदि का संचालन सुनिश्चित किया जायेगा जिससे एक ओर मॅंहगे जीवाष्म ईधन की खपत में कमी होगी तथा उसे एकत्रित किये जाने के लिये समय की बचत होगी। यूपीनेडा द्वारा इस कार्यक्रम के वृहद रूप में संचालन हेतु मिनी ग्रिड नीति तैयार की जा रही है।


सोलर सिटी कार्यक्रम

एमएनआरई, भारत सरकार द्वारा चिन्हित शहरों को उनकी परम्परागत ऊर्जा आवश्यकता में अक्षय ऊर्जा स्रोतों के उपयोग एवं ऊर्जा दक्षता के माध्यम से 10 प्रतिशत की कमी लाने के उद्देश्य से सोलर सिटी कार्यक्रम संचालित किया जा रहा है। उक्त के अतिरिक्त शहरी स्थानीय निकायों को नगर स्तरीय ऊर्जा चुनौतियों का सामना करने के लिए सशक्त करना, वर्तमान ऊर्जा स्थिति का आंकलन, भविष्य की माॅग एवं कार्य योजना को सम्मिलित करते हुए मास्टर प्लान तैयार करने के लिए सहयोग प्रदान करना, शहरी स्थानीय निकायों की क्षमता विकास तथा समाज के सभी वर्गो के मध्य ऊर्जा के संबंध में जागरुकता पैदा करना तथा सतत् ऊर्जा विकल्प को सार्वजनिक एवं निजी भागीदारी के माध्यम से लागू करना योजना के अन्य उद्देश्य है। योजना का क्रियान्वयन हेतु चिन्हित सोलर सिटी का मास्टर-लान तैयार कर आवश्यक कार्यवाही की जा रही है। सोलर सिटी के अतिरिक्त भारत सरकार द्वारा 5 लाख तक की आबादी के विशिष्ट शहरी क्षेत्रों हेतु सोलर सिटी की भाॅति ही ग्रीन कैम्पस की योजना भी संचालित की जा रही है।

एमएनआरई द्वारा योजना के क्रियान्वयन हेतु प्रत्येक सोलर सिटी के लिए रू.50 लाख एवॅ ग्रीन कैम्पस हेतु रू.5 लाख की राशि प्रदान की जाती है तथा योजना में भारत सरकार द्वारा प्रचलित अनुदान राशि विभिन्न परियोजनाओं में सार्वजनिक/औद्योगिक/लाभार्थी परक योजनाओं में प्रदान किया जाना प्राविधानित है। योजना का क्रियान्वयन नगर निगम द्वारा किया जाना है तथा तकनीकी मार्ग-निर्देशन एवॅ परियोजनाओं को स्वीकृति हेतु यूपीनेडा द्वारा वाॅछित कार्यवाही की जानी है। उत्तर प्रदेश में सोलर सिटी के अन्तर्गत आगरा, मुरादाबाद एवॅ इलाहाबाद नगर चिन्हित किये गये हैं तथा ग्रीन कैम्पस के अन्तर्गत दयालबाग, आगरा का चयन किया गया है।


स्पेशल एरिया डेमोंस्ट्रेशन प्रोग्राम (एसएडीपी)

नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (एमएनआरई) भारत सरकार द्वारा नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों यथा, सौर ऊर्जा, बायो ऊर्जा, पवन ऊर्जा एवं लघु जल विद्युत ऊर्जा आदि के जन-सामान्य में बृहद प्रचार-प्रसार के उद्देश्य से स्पेशल एरिया डिमान्सट्रेशन प्रोग्राम (एसएडीपी) संचालित है। इस योजना के अंतर्गत राज्यों में राज्य स्तरीय ऊर्जा पार्क एवं अतर्राष्ट्रीय तथा राष्ट्रीय महत्व के पर्यटक/धार्मिक स्थलों, राष्ट्रीय धरोहरों, राजभवन, विधान भवनों, सचिवालय, स्मारकों, भवनों, 5 से 10 लाख से अधिक की संख्या में श्रधालुओं की उपस्थिति वाले धार्मिक स्थल, ईटिंग ज्वाइन्ट्स, ढाबों, अभ्यारणों/प्राणि उद्यानों, कलेक्ट्रेट भवनों एवं ख्याति प्राप्त शिक्षण संस्थानों एवं 100 वर्ष से अधिक समय से स्थापित स्कूलों आदि में नवीकरणीय ऊर्जा के विभिन्न संयंत्रों की स्थापना करायी जाती है। एमएनआरई द्वारा श्रेणीवार चिन्हित स्थलों/भवनों आदि हेतु 50 प्रतिशत से 100 प्रतिशत (वर्गानुसार) केन्द्रांश अनुदान के रुप में उपलब्ध कराया जाता है। अवशेष राशि संबंधित लाभार्थी संस्था द्वारा वहन की जाती है। कार्यक्रम के अन्तर्गत परियोजनाओं की लागत रु.20.00 लाख से 1.00 करोड़ तक हो सकती है। योजनान्तर्गत 15 कलेक्ट्रेट भवनों में सोलर पावर प्लाण्ट की स्थापना का कार्य किया जा चुका है। प्राणि उद्यान, लखनऊ को राज्यस्तरीय ऊर्जा पार्क के रूप में विकसित किया गया है। राजभवन, लखनऊ में विभिन्न अक्षय ऊर्जा आधारित संयत्र स्थापित कराये गये है। इसके साथ ही प्रदेश के विभिन्न जनपदों में जिला स्तरीय ऊर्जा पार्क की स्थापना करायी गई है।


रिमोट ग्राम विद्युतीकरण कार्यक्रम

प्रदेश के ऐसे ग्रामों/मजरों, जिनका सामान्य विद्युत ग्रिड से विद्युतीकरण असाध्य हैं एवं जो उ0प्र0 पावर कारपोरेशन द्वारा विद्युतीकृत नहीं किये जाते हैं को सौर ऊर्जा से प्रकाश की सुविधा (सोलर होम लाईट एवं सोलर स्ट्रीट लाईट) उपलब्ध कराने हेतु नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय भारत सरकार से संचालित रिमोट ग्राम विद्युतीकरण योजना में क्रियान्वयन किया जा रहा है।इस योजना में एम.एन.आर.ई, भारत सरकार द्वारा अधिकतम 90 प्रतिशत तक का अनुदान दिया जाता है, अवशेष धनराशि राज्य अंशदान तथा लाभार्थी अंशदान से वहन की जानी है।वित्तीय वर्ष 2014-15 तक यूपीनेडा द्वारा विभिन्न जनपदों के 113 ग्रामों एवं 276 मजरों में सोलर घरेलू प्रकाश संयंत्र तथा सौर पथ प्रकाश संयंत्रों की स्थापना कराई गई है| अधिक जानकारी...