विभिन्न औद्यौगिक इकाईयों– डिस्टिलरीज‚ फूड प्रोसेस इण्डस्ट्रीज‚ डेयरीज‚ पल्प एण्ड
मिल्स आदि से निकलने वाले वेस्ट के डिस्पोजल की प्रक्रिया में प्रदेश में अनुमानतः
150 मेगावाट से अधिक ऊर्जा उत्पादन संभावित है। इन प्रोजेक्ट्स की स्थापना से संबन्धित
इकाईयाँ‚ जहाँ एक ओर पर्यावरण को स्वच्छ रखने में सहायक होती हैं‚ वहीं उद्योगों को
आवश्यक ऊर्जा (थर्मल ⁄ इलेक्ट्रिकल ऊर्जा) की पूर्ति भी करती हैं। वर्ष 2013–14 के
अन्त तक विभिन्न औद्यौगिक इकाईयों (मुख्यतः डिस्टिलरीज) से उत्सर्जित वेस्ट से लगभग
108-67 मेगावाट क्षमता (बायोगैस ⁄ इलेक्ट्रिकल इक्यूवेलेन्ट) सुजित कर कैप्टिव पावर
के रूप में उपयोग मे लायी जा रही है। वर्ष 2014–15 में 16-50 मेगावाट के प्रस्ताव प्राप्त
हुये जिन पर कार्य चल रहा है।
वर्ष 2013–14 के अन्त तक विभिन्न औद्यौगिक इकाईयों (मुख्यतः डिस्टिलरीज) से उत्सर्जित
वेस्ट से लगभग 108-67 मेगावाट क्षमता (बायोगैस ⁄ इलेक्ट्रिकल इक्यूवेलेन्ट) सुजित कर
कैप्टिव पावर के रूप में उपयोग मे लायी जा रही है। वर्ष 2014–15 में 16-50 मेगावाट
के प्रस्ताव प्राप्त हुये जिन पर कार्य चल रहा है।वर्ष 2013–14 के अन्त तक विभिन्न
औद्यौगिक इकाईयों (मुख्यतः डिस्टिलरीज) से उत्सर्जित वेस्ट से लगभग 108-67 मेगावाट क्षमता
(बायोगैस ⁄ इलेक्ट्रिकल इक्यूवेलेन्ट) सुजित कर कैप्टिव पावर के रूप में उपयोग मे लायी
जा रही है। वर्ष 2014–15 में 16-50 मेगावाट के प्रस्ताव प्राप्त हुये जिन पर कार्य
चल रहा है।
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